IAS बनने का सपना छोड़ कर 7 साल तक बिना पैसों के लड़ा निर्भया केस,आज देश की इस बेटी पर है सबको गर्व

दिसंबर 2012 में एक इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली घटना दिल्ली में देखने को मिली थी जिसे याद करके आज भी हमारा सिर और नज़रें शर्म से झुक जाते हैं. इसी साल देश की एक मासूम बेटी के साथ अन्याय की सारी हदें पार कर दी गई थी. बेरहमी के साथ उसके साथ जघन्य अपराध को अंजाम दिया गया. आज उस निर्दोष निर्भया को कौन नहीं जानता? देश की इस बेटी के साथ समाज के कुछ घटिया लड़कों ने बहुत बुरा काम किया था. इन दबंगों ने पब्लिक बस में निर्भया के साथ गैंगरेप अंजाम दिया जिसके बाद डॉक्टर्स भी उसकी जान नहीं बचा पाए थे. इस बेटी को इंसाफ मिलने को बहुत साल लग गए. इंसाफ के लिए निर्भया की माँ ने दिन रात एक कर दिए थे.

निर्भया की इंसाफ की लड़ाई में सीमा कुशवाहा इस मामले से बिल्कुल शुरू से जुड़ी हुई हैं. सीमा कुशवाहा वह इकलौती शख्स है जिन्होंने अपनी पूरी ताकत लगा कर निर्भया को इंसाफ दिलाने में शुरू से अंत तक केस में डट कर अपनी जान लगा दी. सीमा की कड़ी मेहनत और निर्भया की माँ के दृढ संकल्प से निर्भया केस में जान आई और केस जीतने के लिए भारतीय लोगो ने अलग अलग मुहीम चला कर इंसाफ दिलाने में सहायता की.

इस निर्भया केस के बाद इंडिया गेट,राष्ट्रपति भवन पर जो भी अगर किसी ने निर्भया की माँ का साथ दिया है हुआ था, उनमें सबसे आगे सीमा कुशवाह ही शामिल रही हैं. हालाँकि केस के समय वह लॉ की पढ़ाई करके ट्रेनिंग ले रही थी. लेकिन इसके बाद उन्होंने सोचा कि वह भी एक वकील हैं तो क्यों ना इस केस को वे खुद ही लड़ें. इसके बाद उन्होंने निर्भया को न्याय दिलाने की ठान ली थी और केस लड़ने का फैसला कर लिया.

वकील सीमा अगर इस मामले को फास्ट ट्रैक कोर्ट, में लिस्टिंग के लिए कोशिश नहीं करतीं तो मामला लटका ही रहता और इसमें देरी होती जाती. रिपोर्ट्स के मुताबिक,सीमा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ही लॉ की पढ़ाई की हुई है और निर्भया केस के दौरान में वह एक ट्रेनी थीं. वह निर्भया ज्योति लीगल ट्रस्ट से भी जुड़ी बताई जाती हैं जो महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों से जूझने के लिए कानूनी सलाह देने के लिए निर्भया के परिवार द्वारा ही बनाया हुआ है.

दरअसल एक टीवी इंटरव्यू में सीमा ने बताया था कि वह सिविल परीक्षा देकर आईएस बनना चाहती थीं. सीमा बताती हैं कि वह खुद ऐसी जगह से आती हैं जहां लड़कियों को ज्यादा आजादी नहीं मिलती. बावजूद इसके वह वकील बनीं. इसके बाद उन्हें कुछ भी नामुमकिन नहीं लगता है, सीमा ने कहा, “मैं ग्रामीण इलाके से आती हूं. जहां से मैं आई वहां लड़कियों को पढ़ाया नहीं जाता,जानती हूँ हक के लिए लड़ना पड़ता है.”

बातचीत में सीमा ने बताया कि वह फिलहाल रुकेंगी नहीं. आगे भी महिलाओं के लिए ऐसे ही आगे बढ़ कर लड़ती रहेंगी. उन्होंने कहा कि अभी देश की और बेटियों को न्याय दिलवाना है. उन्होंने कहा, “पूर्णिया की लड़की को न्याय दिलवाना है. यह एक ऐसा ही केस है, जिसमें 11 साल की बच्ची से रेप हुआ. 6 लोगों ने रेप करके इस मासूम बच्ची का गला काट दिया था.” सीमा महिलाओं के खिलाफ अन्याय से मुकाबला करने को तैयार हैं.