नवनीत सिकेरा: कभी मांगी हुई साइकिल पर बैठाकर परीक्षा दिलाने लाए थे पिता, फिर बेटे ने IPS अधिकारी बन रोशन किया नाम

सफलता का स्वाद तो हर व्यक्ति चखना चाहता है परंतु सिर्फ सफलता सोचने से नहीं मिलती है। सफलता पाने के लिए जीवन में कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। आज दुनिया भर में जो भी कामयाब व्यक्ति हैं उनकी कामयाबी के पीछे संघर्ष की ऐसी कहानी छिपी हुई है, जो आने वाली पीढ़ी को प्रेरित करती है। संघर्ष खुद के साथ-साथ परिवार का भी हो सकता है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से उत्तर प्रदेश के कैडर के दबंग आईपीएस अधिकारी नवनीत सिकेरा की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं।

यादव लैंड नामक फेसबुक पेज की पोस्ट के मुताबिक, 22 अक्टूबर 1971 को उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले के शिकोहाबाद में मनोहर सिंह यादव के घर नवनीत सिकेरा का जन्म हुआ। इन्हें उत्तर प्रदेश का “सुपर कॉप” कहा जाता है। नवनीत ने एटा जिले के आल बॉयज स्कूल से हाई स्कूल की शिक्षा प्राप्त की जिसके बाद वह दिल्ली के हंसराज कॉलेज में दाखिला लेने के लिए पहुंचे परंतु कॉलेज में उनको अंग्रेजी ना आने की वजह से दाखिला फॉर्म नहीं दिया गया।

इसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और खुद से किताबें खरीद कर पढ़ाई की। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के दम पर एक ही बार में आईआईटी जैसे एग्जाम को पास किया और आईआईटी रुड़की में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में ग्रेजुएश पूरी की। फिर पहले ही प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईपीएस बन गए। वर्तमान में आईपीएस नवनीत सिकेरा यूपी के मेरठ में बतौर आईजी तैनात हैं। उन्होंने अपने संघर्ष और सफलता की कहानी सोशल मीडिया पर खुद बयां की है।

आपको बता दें कि हाल ही में मध्य प्रदेश के धार जिले की मनावर तहसील के गांव बयड़ीपुरा से एक खबर सामने आई थी, जहां पर शोभाराम अपने बेटे आशीष को दसवीं की परीक्षा दिलाने के लिए पिता रात भर साइकिल चलाता रहा। लॉकडाउन लगने की वजह से यातायात के साधन बंद थे। सारी बसें बंद होने की वजह से रात को गांव बयड़ीपुरा से धार तक का 105 किलोमीटर का सफर पिता-पुत्र ने साइकिल से ही तय किया था। और धार परीक्षा केंद्र पर मंगलवार पहुंचे।

सबसे ज्यादा खास बात यह है कि यह पिता अपने बेटे के तीन पेपर की वजह से 3 दिन का राशन भी अपने साथ साइकिल पर ही लेकर आया था। अभी तक तो आपने धार जिले के शोभाराम और उसके पुत्र आशीष के संघर्ष की कहानी के बारे में पढ़ा। अब यहीं से आईपीएस नवनीत सिकेरा की कहानी सामने आई है।

जब शोभाराम और उनके बेटे आशीष की खबर छपी तो उसके बाद देशभर में यह सुर्खियों का विषय बनी रही। वहीं अगले दिन 19 अगस्त 2020 को आईपीएस अधिकारी नवनीत सिकेरा ने अपने फेसबुक पेज पर शोभाराम और आशीष की खबर की अखबार की कटिंग पोस्ट शेयर करते हुए अपनी कहानी को भी साझा किया।

मेरठ आईजी नवनीत सिकेरा ने अपने फेसबुक पोस्ट में यह लिखा था कि “यह खबर देखी तो आंखें डबडबा गई। अब से कुछ दशक पहले मेरे पिता भी मुझे मांगी हुई साइकिल पर बैठाकर आईआईटी का एंट्रेंस एग्जाम दिलाने ले गए थे। वहां पर बहुत से स्टूडेंट्स कारों से भी आए थे। उनके साथ उनके अभिभावक पूरे मनोयोग से उनकी लास्ट मिनट की तैयारी भी करा रहे थे।

उन्होंने अपनी पोस्ट में लिखा कि “मैं ललचाई आंखों से उनकी नई नई किताबों (जो मैंने कभी देखी भी नहीं थी) की और देख रहा था और मैं सोचने लगा कि इन लड़कों के सामने मैं कहां ठीक पाऊंगा और एक निराशा सी मेरे मन में आने लगी। मेरे पिता ने इस बात को नोटिस कर लिया और मुझे वहां से थोड़ा दूर अलग ले गए और एक शानदार पेप टॉक (उत्साह बढ़ाने वाली बातें) दी।

अपने संघर्ष और सफलता की कहानी बयां करते हुए आईपीएस अधिकारी नवनीत सिकेरा ने आगे यह लिखा कि “पिता ने कहा कि इमारत की मजबूती उसकी नींव पर निर्भर करती है ना कि उस पर लटके झाड़ फानूस पर। जोश से भर दिया। मैंने एग्जाम दिया। परिणाम भी आया। आगरा के उस सेंटर से मात्र दो ही लड़के पास हुए थे, जिसमें एक नाम मेरा भी था। ईश्वर से प्रार्थना है कि इन पिता-पुत्र (धार के शोभाराम और आशीष) को भी इनकी मेहनत का मीठा फल दें।

दबंग आईपीएस नवनीत सिकेरा ने अपनी कहानी बयां करते हुए अपने पिताजी को भी याद किया और उनकी एक तस्वीर को साझा किया। इसके साथ ही उन्होंने लिखा कि “आज मेरे पिता नहीं हैं। हमारे साथ पर उनकी कड़ी मेहनत का फल उनकी सिखलाई हर सीख हर पल मेरे साथ है और हर पल यही लगता है कि एक बार और मिल जाएं तो जी भर के गले लगा लूँ।”