क्या कभी बिना मिट्टी के उगाई हैं फल-सब्जियां? अगर नहीं तो इन से सीखिए…
इन दिनों सब्जी हो या फिर फल दोनों ही मिलवटी कीटनाशकों के छिड़काव से तैयार की जाती हैं। वहीं भारत में जितनी भी फसलों की खेती की जाती है उसमें ज्यादातर फसलों पर किसान कीटनाशकों का छिड़काव करते हैं जो आपकी सेहत के लिए काफी हानिकारक होता है। वहीं शहर में रहने वाले लोगों के लिए ऐसी सब्जियां नुकसानदायक होती हैं। लेकिन आप शहर में रहते हुए अपने लिए फल-सब्जियों की खेती कर सकते हैं वो भी बिना मिट्टी के।
जी हां आप भी बिना मिट्टी के अपनी सब्जियों को घर पर ही उगा सकते हैं। पुणे की नीला रेनाविकर पंचपोर एक ऐसी शख्स हैं जो पेशे से मैराथन रनर हैं लेकिन बिना मिट्टी के पौधे और सब्ज़ियां कैसे उगाती हैं आपको बखूबी बता सकती हैं। आपको बता दें कि नीला के पास सिर्फ 450 स्क्वायर फ़ीट का टेरेस गार्डन है और वो इसी गार्डन में बिना मिट्टी के साग-सब्ज़ी और फ्रूट्स तक उगाती हैं।
नीला कैसे उगाती हैं सब्जियां
आपको बता दें कि नीला सब्जियों को उगाने के लिए कम्पोस्ट या खाद तैयार करती है उसके लिए वो सूखे पत्ते, किचन वेस्ट और गोबर का इस्तेमाल करती हैं। नीला के मुताबिक बिना मिट्टी की ये खाद पत्तों के कारण ज़्यादा देर तक नमी को बनाये रखती है और इससे पौधे की हेल्थ बनी रहती है। इतना ही नहीं केचुले के लिए भी बढ़िया वातावरण तैयार होता है। नीला फसलों के लिए किसी स्पेशल तकनीक का इस्तेमाल नहीं करती।
10 साल पहले की थी पौधे उगाने की शुरुआत
एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक नीला खुद को पर्यावरण के काफी करीब हैं लेकिन उनके खेती के बारे में ज्यादा समझ ना होने के चलते जैसे उनको आइडिया समझ आया उन्होंने उसी तरिके से सब्जियां उगानी शुरु कर दी। किचन के वेस्ट और दोस्तों की मदद से उन्होंने कम्पोस्टिंग करना शुरु किया। जिसके बाद ही उनके सफ़र की शुरुआत हुई।
इंटरनेट से सीखे गार्डनिंग की ये तकनीक
अपने घर की छत्त पर ही सब्जियों को उगाने का मन बना चुकी नीला ने इंटरनेट की मदद से कई ऐसी तकनीक सीखें। जिसमें उन्होंने बिना मिट्टी के पौधे उगाने, पौधों के लिए बिस्तर तैयार करना, उनको कितना पानी देना, खाद इन सभी चीजों को नीला ने इंटरनेट की मदद से सीखा। जिसके बाद उन्होंने घर पर ही कम्पोस्ट बनाना शुरू कर दिया ।
कैसे उगाए पौधे
पौधों को उगाने के लिए नीला ने एक डब्बे में सूखे पत्ते, गोबर डाला और एक हफ्ते बाद किचन का वेस्ट डालने लगी और ऐसा करने के एक महीने बाद खाद तैयार की गई। जिसे उन्होंने एक बाल्टी में डाला और उसमें खीरे के बीज लाए और रोज पानी देती रहीं। 40 दिन बाद उसमें दो खीरे उगे. इस छोटी सी जीत के बाद उन्होंने उन्होंने मिर्च, टमाटर और आलू भी उगाये।
बिना मिट्टी की खेती को क्या कहते है?
जानकारी के लिए आपको बता दें कि बिना मिट्टी के खेती करने के तरीके को हाइड्रोपोनिक्स कहते है। इसमें फसलें उगाने के लिए द्रव्य पोषण या पौधों को दिए जाने वाले खनिज पहले ही पानी में मिला दिए जाते हैं। हाइड्रोपोनिक जैविक खेती के कई लाभ हैं।