कब है रक्षाबंधन का त्यौहार? जानिए तिथि, शुभ मुहूर्त, विधि और इसका महत्व

हिंदी पंचांग के अनुसार राखी हर वर्ष श्रावण माह की पूर्णिमा तिथि को बांधी जाती है। इस बार रक्षाबंधन का त्यौहार 22 अगस्त 2021 दिन रविवार को मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में रक्षाबंधन के त्यौहार का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं। रक्षाबंधन का त्यौहार भाई-बहन के अटूट रिश्ते और प्रेम का प्रतीक होता है। यह त्यौहार मुख्यतः हिंदुओं में प्रचलित है परंतु इसे भारत के सभी धर्मों के लोग समान उल्लास और भाव के साथ मनाते हैं। पूरे भारत में इस दिन का माहौल देखने लायक होता है और हो भी क्यों ना, यही तो एक ऐसा विशेष दिन है जो भाई-बहनों के लिए बहुत ही खास होता है।

रक्षाबंधन के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व की वजह से यह दिन बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण बन जाता है। वर्षों से रक्षाबंधन का त्यौहार चला आ रहा है और आज भी यह हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यमराज की बहन यमुना ने उनकी कलाई पर राखी बांधी थी, जिसके बदले यमराज ने यमुना को अमरता का वरदान दिया था। आपको बता दें कि पंचांग के मुताबिक भद्राकाल का विचार किया जाता है, वैसे इस दिन भद्राकाल नहीं है। भद्राकाल के अलावा राहु काल में भी राखी का विचार किया जाता है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त क्या है, विधि और इसके महत्व के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

जानिए रक्षाबंधन मुहूर्त 2021

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 21 अगस्त की शाम 03:45 बजे से

पूर्णिमा तिथि समाप्त- 22 अगस्त की शाम 05:58 बजे तक

शुभ समय- 22 अगस्त, रविवार सुबह 05 बजकर 50 मिनट से शाम 06 बजकर 03 मिनट तक

रक्षा बंधन के लिए दोपहर का उत्तम समय- 22 अगस्त को 01 बजकर 44 मिनट से 04 बजकर 23 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 04 मिनट से 12 बजकर 58 मिनट तक

अमृत काल- सुबह 09 बजकर 34 मिनट से 11 बजकर 07 मिनट तक

ब्रह्म मुहूर्त- 04 बजकर 33 मिनट से 05 बजकर 21 मिनट तक

भद्रा काल- 23 अगस्त, 2021 सुबह 05 बजकर 34 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक

भाई की कलाई पर राखी बांधने की विधि

1. रक्षा बंधन वाले दिन प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करने के पश्चात साफ-सुथरे कपड़े धारण कर लें।

2. इसके बाद घर की अच्छी तरह से साफ सफाई कीजिए और चावल के आटे का चौक पुरकर मिट्टी के छोटे से घड़े की स्थापना कीजिए।

3. अब आप चावल, कच्चे सूत का कपड़ा, सरसों, रोली को एक साथ मिला लें। इसके बाद पूजा की थाली तैयार करके दीपक जलाएं।

4. अब आप थाली में मिठाई रखें। इसके बाद भाई को पीढ़े पर बैठाएं। अगर पीढ़ा आम की लकड़ी का बना हुआ है तो यह बहुत ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

5. अब आप रक्षा सूत्र बांधते समय भाई को पूर्व दिशा की तरफ बिठाएं और भाई को तिलक लगाते समय बहन का मुंह पश्चिम दिशा की तरफ होना चाहिए।

6. इसके बाद भाई के माथे पर तिलक लगाकर दाहिने हाथ पर रक्षा सूत्र बांधे। राखी बांधने के बाद भाई की आरती उतारें।

7. इसके बाद भाई को मिठाई खिलाएं। अब बहन अगर बड़ी है तो छोटे भाई को आशीर्वाद दें और बहन अगर छोटी है तो बड़े भाई को प्रणाम करें।

रक्षाबंधन के त्यौहार का धार्मिक महत्व जानिए

रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व माना गया है। पौराणिक कथा के मुताबिक, राजा बलि को वचन देकर जब भगवान विष्णु जी पाताल पहुंचे थे तो श्रावण माह की पूर्णिमा को लक्ष्मी ने रक्षा सूत्र बांधकर भगवान विष्णु जी को मांगा था। इसके अलावा एक अन्य कथा के मुताबिक, राजसूय यज्ञ के समय भगवान कृष्ण को द्रोपदी ने रक्षा सूत्र के रूप में अपने आंचल का टुकड़ा बांधा था। इसी के पश्चात से बहनों द्वारा भाई को राखी बांधने की परंपरा शुरू हुई।