शनि के प्रकोप से ऐसे मिलेगी मुक्ति, जानिए कब और कैसे करें शनि महाराज की पूजा

शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि शनिदेव अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। जो व्यक्ति श्रद्धा पूर्वक शनि महाराज की पूजा-अर्चना करता है उसकी पुकार शनि महाराज सुनते हैं और ऐसे लोगों के ऊपर शनिदेव की कृपा दृष्टि बनी रहती है। शनि देवता को कर्म फल दाता भी कहा जाता है। यह मनुष्य के कर्मों के आधार पर ही फल प्रदान करते हैं।

धार्मिक शास्त्रों में इस बात का उल्लेख किया गया है कि शनि देव न्याय प्रिय देवता है और इनकी लीला भी बहुत न्यारी है। शनिदेव अपने भक्तों की गलती पर उन्हें सजा देते हैं परंतु दूसरी तरफ सनी देव अच्छे काम करने वाले लोगों को उचित फल प्रदान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जिन लोगों से शनिदेव रूठ जाते हैं, उनको शनि के प्रकोप का सामना करना पड़ता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि ग्रह ठीक है तो इसकी वजह से जीवन में सफलता मिलती है परंतु शनि ग्रह की स्थिति ठीक ना होने के कारण जीवन में परेशानियां उत्पन्न होने लगती हैं।

ऐसा माना जाता है कि शनिवार को शनि देव की पूजा-अर्चना की जाए तो इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं और शनि शांत रहते हैं। इस दिन शनिदेव की पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। अगर आप विधि-विधान पूर्वक शनिवार के दिन पूजा करते हैं तो आपको कई फायदे मिलते हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से शनिदेव की पूजन विधि के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं। कब और कैसे शनि देव की पूजा कर सकते हैं? चलिए जानते हैं इसके बारे में…

चलिए जानते हैं कैसे करें शनिदेव की पूजा

  • अगर आप शनिवार के दिन शनि देव की पूजा कर रहे हैं तो आप इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठ जाएं। उसके बाद स्नान आदि से निवृत होने के पश्चात साफ-सुथरे कपड़े धारण कर लीजिए।
  • अब आप पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें। उसके बाद शनि देवता की मूर्ति लीजिए आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि अगर शनि देव की मूर्ति लोहे से बनी है तो यह बहुत ही बेहतर माना जाता है।
  • अब आप शनिदेव की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं और चावलों के 24 दल बनाकर आप इस मूर्ति को स्थापित कीजिए। इसके बाद आप काले तिल, फूल, दीप, काले, वस्त्र और तेल आदि से शनिदेव की पूजा अर्चना कीजिए।
  • शनि देवता की पूजा के दौरान आप शनिदेव के 10 नामों कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर का उच्चारण कीजिए।
  • अब आप पीपल के पेड़ के तने पर सूत के धागे से सात परिक्रमा करें। इसके बाद आप शनि के मंत्र “शनैश्चर नमस्तुभ्यं नमस्ते त्वथ राहवे। केतवेअथ नमस्तुभ्यं सर्वशांतिप्रदो भव॥” का जाप कीजिए।

जानते हैं किन परिस्थितियों में करें शनिदेव की पूजा

  1. पुरुष शुद्ध स्नान करने के पश्चात शनिदेव की पूजा कर सकते हैं।
  2. महिलाओं को इस बात का ध्यान रखना होगा कि आप शनि देव के चबूतरे पर ना जाएं और अगर मंदिर है तो आप उसको स्पर्श मत कीजिए।
  3. अगर किसी व्यक्ति की राशि में शनि आ रहा है तो ऐसी स्थिति में शनि देव की पूजा जरूर करनी चाहिए।
  4. साढ़ेसाती से पीड़ित लोगों को शनिदेव की पूजा करनी चाहिए।
  5. जिन लोगों के ऊपर शनि की ढैया चल रही है उनको शनिदेव की आराधना करनी चाहिए।
  6. जो लोग शनि की बुरी दृष्टि से पीड़ित हैं उनको शनिदेव की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
  7. अगर किसी का ट्रैवल, ट्रक, ट्रांसपोर्ट, लोहे से संबंधित उद्योग, पेट्रोलियम, मेडिकल, कोर्ट कचहरी से संबंधित है तो उनको शनिदेव की पूजा करनी चाहिए।
  8. कोई भी अच्छा काम करने जा रहे हैं तो शनि देव की कृपा प्राप्त करने की प्रार्थना जरूर करें।
  9. जो लोग कैंसर, कुष्ठ रोग, किडनी, हृदय रोग, मधुमेह, खाज-खुजली जैसे त्वचा रोग से पीड़ित हैं उनको शनिदेव की पूजा जरूर करनी चाहिए और शनिदेव का अभिषेक करें।