इस शिवलिंग की रावण ने की थी स्थापना, अपने आप बढ़ता है आकार, सच्ची श्रद्धा से मांगी गई हर मुराद होती है पूरी

हमारा देश धार्मिक देशों में से एक है। हमारे देश में ऐसे बहुत से धार्मिक स्थल हैं, जो अपने चमत्कार और किसी ना किसी विशेषता के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। वहीं अगर हम भगवान शिव जी के मंदिरों की बात करें, तो दुनिया भर में महादेव के बहुत से प्रसिद्ध और चमत्कारिक मंदिर स्थित हैं। जिनकी अपनी-अपनी मान्यताएं हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव जी के इन मंदिरों में जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से कोई मुराद मांगता है, तो उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।

भगवान शिव जी के उन्हीं मंदिरों में से एक उत्तर प्रदेश के बस्ती में स्थित बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर में एक ऐसा शिवलिंग स्थापित है, जिसे आज तक कोई भी भक्त अपने दोनों बांहों में नहीं ले सका है। भक्त जब भी शिवलिंग को अपनी बाहों में लेना चाहते हैं, तो शिवलिंग का आकार अपने आप बड़ा हो जाता है। ऐसा बताया जाता है कि पिछले कई सालों से शिवलिंग की बनावट में काफी बदलाव देखने को मिला है।

लोगों के अनुसार शिवलिंग का आकार पहले बहुत छोटा था, लेकिन अब वह काफी बड़ा हो गया है। बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर अपने आप में एक युग का इतिहास समेटे हुए हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना रावण ने की थी। यहां पर अज्ञातवास के समय युधिष्ठिर ने पूजा की थी।

इतना ही नहीं बल्कि जब देश गोरों की गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था, तब ब्रिटिश सेना मंदिर व उसके आसपास के क्षेत्रफल पर कब्जा करना चाहती थी लेकिन दैवीय प्रकोप के चलते अंग्रेजों को पीछे हटना पड़ गया। इन चर्चाओं को बस्ती जिले में रहने वाले अधिकांश शिव भक्तों से सुनने को मिलता है।

सच्ची श्रद्धा से मांगी गई हर मुराद होती है पूरी

बाबा भदेश्वर नाथ का यह प्राचीन मंदिर बस्ती मंडल मुख्यालय से करीब सात किलोमीटर दूर कुआनो नदी के तट पर स्थित है। इसकी भव्यता देखते ही बनती है। वैसे तो पूरे साल भर शिवभक्त इस मंदिर में जल चढ़ाने के लिए आते रहते हैं परंतु सोमवार और सावन के महीने में यहां पर लाखों की संख्या में दूर-दूर से शिवभक्त पहुंचते हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति इस मंदिर में सच्ची श्रद्धा से मुराद मांगता है, तो वह जरूर पूरी होती है। इस मंदिर से जुड़े हुए कई रोचक तथ्य हैं।

अपने आप बढ़ जाता है आकार

लोगों की ऐसी मान्यता है कि बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर में एक ऐसा शिवलिंग है, जिसे कोई भी भक्त अपने दोनों बांहों से घेरकर नहीं पकड़ सकता है। ऐसा माना जाता है कि भक्त जब भी शिवलिंग को अपनी बाहों में लेना चाहता है, तो आकार अपने आप बढ़ जाता है, पिछले कई सालों से शिवलिंग की बनावट में काफी बदलाव देखने को मिला है।

शिवभक्त रावण ने की थी इस शिवलिंग की स्थापना

वहीं मंदिर के पुजारी ऐसा बताते हैं कि लोक मान्यताओं के मुताबिक रावण हर रोज कैलाश जाकर भगवान शिव जी की पूजा करता था। वहां से एक शिवलिंग लेकर वापस लौटता था। उसी दौरान यह शिवलिंग भी रावण कैलाश से लेकर आया था। इसके अलावा यह भी मान्यता है कि महाभारत काल में द्यूतक्रीड़ा में हारने के बाद अज्ञातवास के दौरान राजा युधिष्ठिर ने यहां शिवलिंग की स्थापना कर पूजा की थी। यह क्षेत्र सालों तक घने जंगलों से घिरा रहा।

दैवीय आपदाओं से भाग खड़े हुई थी ब्रिटीश सेना

ऐसा भी कहा जाता है कि ब्रिटिश कालीन सरकार मंदिर के आसपास के क्षेत्रफल पर कब्जा करना चाहती थी, मगर ब्रिटिश सेना को दैवीय आपदाओं की वजह से अपने कदम पीछे खींचने पड़ गए थे। जन श्रुतियों के मुताबिक मंदिर के शिवलिंग को चोरी करने का भी प्रयास किया गया था। कुछ चोरों ने शिवलिंग की खुदाई की थी परंतु काफी खुदाई के बाद भी जब शिवलिंग का अंत नहीं मिला तो उसके बाद वह भागने लगे तो उनकी गाड़ी का पहिया वहीं धस गया था और पत्थर बन गया था, जो आज भी देखने को मिलता है।

आपको बता दें कि श्रावण मास में राम नगरी अयोध्या से सरयू नदी का जल लेकर लाखों श्रद्धालु यहां जलाभिषेक करते हैं। वहीं महाशिवरात्रि में भी यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगी रहती है। हर सोमवार को श्रद्धालु इस मंदिर में बड़ी संख्या में पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि यहां पर जलाभिषेक और पूजन अर्चना करने से मुराद पूरी हो जाती है।