बचपन में छूटा मां का साथ, गिरवी रखी जमीन और मजदूरी की, लेकिन मेहनत और लगन से IAS बन गए माधव गिट्टे

हर कोई अपने जीवन में एक कामयाब व्यक्ति बनना चाहता है लेकिन कामयाबी पाने के लिए जीवन में कड़ी मेहनत के साथ साथ संघर्ष भी बहुत करना पड़ता है। आपको बता दें कि हर वर्ष संघ लोक सेवा आयोग द्वारा सिविल सेवा परीक्षा UPSC CSE का आयोजन किया जाता है। इस परीक्षा के लिए लाखों की संख्या में लोग आवेदन करते हैं परंतु इस परीक्षा में गिने-चुने अभ्यार्थियों का ही चयन हो पाता है। हालांकि, सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों की संघर्ष और सफलता की कहानियां हमें हर दिन आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं।

कोई अपने समाज को चुनौती देकर आगे बढ़ता है तो कोई अपनी आर्थिक स्थिति को हराकर सफलता की सीढ़ियां चढ़ता है परंतु सबके संघर्ष और सफलता की कहानी अपने आप में अलग है। आज हम आपको एक बेहद साधारण परिवार में जन्मे एक लड़के की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने बुरी परिस्थितियों में हार ना मानते हुए अपनी मेहनत और लगन से IAS अधिकारी बना। दरअसल, आज हम आपको IAS माधव गिट्टे की सफलता की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनकी कहानी लोगों के लिए काफी प्रेरणादायक है।

बचपन में ही छूट गया मां का साथ

महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के रहने वाले माधव गिट्टे पांच भाई-बहनों के बीच पले बढ़े हैं। शुरुआत से ही माधव पढ़ाई लिखाई में काफी तेज थे। परंतु यह एक साधारण परिवार में जन्मे थे, जिसके चलते उनकी पढ़ाई के बीच बार-बार उनकी आर्थिक स्थिति बाधा बनी रही। भले ही परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी परंतु वह लगातार अपनी पढ़ाई करते रहे। आपको बता दें कि माधव के घर में उनके पिता ही एक ऐसे व्यक्ति थे, जो कमाते थे।

माधव के पिता खेतों में काम किया करते थे और इससे जो भी उनकी कमाई होती थी, वह अपने परिवार का पेट पालते थे। परंतु उनके जीवन में उस समय समस्या आ गई जब माधव की मां को कैंसर हो गया। उस समय माधव दसवीं क्लास में पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन इस बीमारी की वजह से उनकी मां ने अपनी आखिरी सांसे ली।

11वीं के बाद खेतों में करने लगे काम

मां के चले जाने के बाद माधव अंदर से पूरी तरह से टूट गए थे परंतु इस दौरान उन्होंने खुद को जैसे तैसे संभाला। जब माधव 11वीं की पढ़ाई कर रहे थे, तो उस दौरान रोजाना 11 किलोमीटर साइकिल चला कर पढ़ाई करने के लिए जाया करते थे। 11वीं की पढ़ाई के बाद उनकी आर्थिक स्थिति फिर से उनकी पढ़ाई के बीच बाधा बन गई।

फीस की तंगी की वजह से उन्होंने 11वीं कक्षा की पढ़ाई को छोड़ दिया और अपने पिता के साथ दूसरों के खेतों में मजदूरी करने लगे। उन्होंने दूसरों के खेतों में मजदूरों की तरह काम करके कक्षा 12वीं में एडमिशन के लिए फीस जमा किया।

पढ़ाई छोड़ फैक्ट्री में की मजदूरी

जब माधव ने 12वीं की पढ़ाई पूरी कर ली तो इसके बाद उनके कंधों पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी का बोझ आ गया, जिसके बाद उन्होंने फैक्ट्री में भी काम किया। लेकिन उन्होंने यह सोच लिया था कि बहुत जल्द ही आईटीआई की पढ़ाई कर नौकरी प्राप्त कर लेंगे। लेकिन उन्हें किसी भी सरकारी आईटीआई में एडमिशन नहीं मिल पाया। यहां से भी उन्हें निराशा ही मिली।

इसके बाद उन्होंने एक फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया, जहां पर उनको हर महीने 2400 रुपए मिला करते थे। उन्होंने जैसे-तैसे करके पढ़ाई के लिए फीस जमा की और पॉलिटेक्निक में एडमिशन लिया और यहां से वह अच्छे नंबरों से पास हो गए।

पिता ने अपने बेटे की पढ़ाई के लिए गिरवी रख दी जमीन

जब माधव ने पॉलिटेक्निक की पढ़ाई कर ली तो उसके बाद उनको नौकरी तो मिल गई परंतु इसी दौरान उन्होंने आगे की पढ़ाई करने के लिए सोच लिया। इस विषय में उन्होंने अपने पिता जी से भी बात की थी। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी परंतु इसके बावजूद भी माधव के पिताजी ने किसी न किसी तरह से इंतजाम कर लिया।

इसके बाद माधव ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। एक साल तक तो वह पढ़ सके लेकिन इसके बाद अगली फीस भरने का वक्त आया तो ऐसे में फिर से समस्या सामने खड़ी हो गई। फिर पिता ने अपनी जमीन को गिरवी रख कर एक लाख रुपए का इंतजाम किया, जिससे बेटे की फीस भर सके।

पहले ही प्रयास में मिली सफलता

माधव ने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और सॉफ्टवेयर कंपनी में उन्हें इंजीनियर की नौकरी मिल गई। इसके बाद से उनके परिवार के हालात सुधरने लगे। माधव ने 3 साल तक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम किया, जिसके बाद साल 2017 में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में बैठने का मन बनाया और अपनी नौकरी को छोड़ दिया।

इसके बाद वह परीक्षा की तैयारी में जुट गए और साल 2018 में अपने पहले ही प्रयास में उन्होंने 567वां रैंक के साथ सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त कर ली और अपने दूसरे प्रयास में 201वीं रैंक हासिल की और वह IAS के लिए चुने गए।