ना ली कोई ट्यूशन ना कोई टेस्ट सीरीज, केवल इंटरनेट से पढ़ कर अनुकृति बनी IAS अफ़सर, जानिए इनकी सफलता का राज़

हमारा युग काफ़ी आगे बढ़ चुका है. आज के युवा अगर कुछ ठान ले तो वह उससे कर के ही दिखते है चाहे जो परिस्थिति आ जाए. हम बात कर रहे है ऐसी ही एक साधारण लड़की की जिसने कुछ असाधारण कर दिखाया है. दरअसल हम बात कर रहे है अनुकृति शर्मा की जो बिना कोई कोचिंग आईएएस अधिकारी बन चुकी है. बता दे जयपुर की अनुकृति शर्मा ने न कोचिंग ज्वॉइन की और न ही कोई टेस्ट सीरीज में भाग लिया. लेकिन उन्होंने आईएएस बनकर अपना खुद का सपना पूरा कर दिखाया. अनुकृति शर्मा ने सिर्फ इंटरनेट के जरिये पढ़ाई कर यह सफलता प्राप्त की है. यह उपलब्धि बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि जहा देश भर में लोग लाखो रुपए खर्च कर देते है मगर फिर भी सफल नहीं हो पाते है.

अपने दम पर सिविल सेवा परीक्षा 2019 में 133वीं रैंक हासिल करने वाली अनुकृति ने दिल्ली नॉलेज ट्रेक को एक साक्षात्कार में अपने आईएएस बनने तक कहानी साझा की. इस दौरान अनुकृति ने बताया कि बिना अच्छी तैयारी के परीक्षा के दौरान आंसर राइटिंग बेहद मुश्किल होता है. लेकिन अगर हम आंसर राइटिंग को लेकर अपनी खुद की तैयारी को मजबूत कर लें तो यह काम आसान हो जाता है. स्वयं अनुकृति ने इसके लिए बहुत संकल्प के साथ अभ्यास किया था.

दिलचस्प बात है कि अनुकृति के आईएएस बनने की कहानी बड़ी अलग है. हम अक्सर देखते है कि लड़कियां शादी के बाद घर-गृहस्थी में व्यस्त होकर अपने सपने छोड़ देती हैं, तो वहीं अनुकृति के आईएएस बनने के सफर की शुरुआत ही उनकी शादी के बाद हुई. अनुकृति शर्मा ने शादी के बाद आईएएस बनने की ठानी. उन्होंने न सिर्फ मन लगाकर इसकी तैयारी की बल्कि अपना सपना पूरा कर दिखाया.

हालांकि उन्हें चार बार परीक्षा देनी पड़ी तब कही जाकर वे आईएएस बन सकीं है. 2017 के प्रयास में उन्हें 355वीं रैंक प्राप्त हुई, लेकिन वे यहीं नहीं रुकीं. उन्होंने 2018 में बेहतर तैयारी के लिए ब्रेक लिया. इसके बाद फिर 2019 के प्रयास में अनुकृति ने 138वीं रैंक हासिल की. तब कहीं जाकर उन्हें आईएएस बनने तमगा प्राप्त हुआ.

वहीं साइंस बैकग्राउंड की छात्रा रही अनुकृति जयपुर के इंडो भारत इंटरनेशनल स्कूल से पढ़ाई की थी. 2012 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च कोलकाता से बीएसएमएस (जियोलॉजिकल साइंसेज) में ग्रेजुएशन किया. इसके बाद अनुकृति ने नेट क्रैक किया. बाद में आगे पढ़ने के लिए अमेरिका चली गईं थीं. वहां से लौटकर आने के बाद उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में भाग लेने की ठानी और अब उन्होनें अपना सपना पूरा कर लोगों के लिए मिसाल बन चुकी है.