मजबूरी में ऑटो चालक बनी ये महिला, साल भर के बच्चे को पेट से बांधकर चलाती है रिक्शा

आजकल महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं। विभिन्न क्षेत्रों में महिलाएं देश का नाम रौशन कर रही हैं। मौजूदा समय में महिला और पुरुष एक समान हैं। भले ही महिलाओं को कोमल कहा जाता है परंतु यह बहुत हिम्मत वाली भी होती हैं। महिलाएं अपने जीवन में हर परिस्थिति का डटकर सामना करती हैं। अगर कभी परिवार पर किसी प्रकार की मुसीबत खड़ी होती है तो वह अपने परिवार को परेशानी से बाहर निकालने के लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाती हैं।

आज हम आपको इस लेख के माध्यम से एक ऐसी महिला के बारे में बताने वाले हैं, जिसके बारे में जानकर आप भी उनके जज्बे को सलाम करेंगे। दरअसल, एक महिला मजबूरी में ऑटो चालक बन गई। यह महिला इन दिनों छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर में सड़कों पर रोजाना देखने को मिलती है।

दरअसल, आज हम आपको जिस महिला के बारे में बता रहे हैं, उसका नाम तारा प्रजापति है। इस महिला के जज्बे के आगे पुरुषों की हिम्मत भी जवाब दे गई। यह महिला अपने साल भर के नन्हे से बच्चे को अपने पेट पर बांधकर ऑटो रिक्शा चलाती है। तारा प्रजापति के जीवन के संघर्ष की कहानी हर किसी व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक है।

सोशल मीडिया पर तारा प्रजापति नाम की इस महिला की तस्वीरें काफी तेजी से वायरल हो रही हैं। जो भी लोग इनके बारे में सुन रहे हैं, वह इनके जज्बे को सलाम कर रहे हैं। एक महिला होते हुए भी वह अपने नन्हे बच्चे को पेट के आगे बांधकर ऑटो रिक्शा चलाती हैं। तारा प्रजापति के संघर्ष की कहानी बेहद भावुक कर देने वाली है। जब भी इस शहर में किसी से भी तारा प्रजापति के बारे में पूछा जाए तो वह एक ही जवाब देगा कि वह बहुत ही जज्बे वाली महिला है। वह अपने बच्चे को गोद में लेकर पूरे शहर में ऑटो रिक्शा चलाने का काम करती है।

अपने बच्चे को साथ में लेकर ऑटो रिक्शा चलाना कोई आसान काम नहीं है परंतु तारा प्रजापति की ऐसी मजबूरी है कि वह इस काम को कर रही हैं। तारा प्रजापति अपने काम के दौरान अपने नन्हे से बच्चे का पूरा ध्यान रखती हैं। इसके लिए वह पानी की बोतल के साथ खाने का भी सामान साथ रखती हैं। अभावग्रस्त जिंदगी के आगे बढ़ने के लिए तारा प्रजापति ऑटो रिक्शा चालक बन गई हैं।

आपको बता दें कि तारा प्रजापति 12वीं (कॉमर्स) तक पढ़ी हैं। जब उनकी उम्र 10 वर्ष की भी नहीं हुई थी तो उससे पहले ही उनकी शादी हो गई थी। उनके परिवार की माली हालत बहुत खराब थी। तारा प्रजापति के पति ऑटो चलाने का काम करने लगे। जैसे-तैसे जो भी वह कमाते थे, उससे परिवार का गुजारा चलता था। परिवार की स्थिति को सुधारने के लिए तारा ने भी अपने पति का साथ दिया और उन्होंने खुद भी ऑटो चालक बनने का निर्णय ले लिया।

तारा प्रजापति का ऐसा बताना है कि वह बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने यह कहा कि उनके बच्चे की देखभाल करने वाला कोई भी नहीं है। पेट पालने के लिए मजबूरी में उन्हें ऑटो चलाना पड़ रहा है। परिवार की स्थिति ठीक नहीं है। बच्चों की पढ़ाई और घर ठीक से चल सके इसलिए वह ऑटो चला रही हैं।

तारा प्रजापति ने बताया कि उन्होंने अपने पति के साथ खुद परिवार की जिम्मेदारी उठानी शुरू कर दी है। वह छोटी-छोटी जरूरतों को पूरा करने के लिए आज भी संघर्ष करने से पीछे नहीं हटती हैं। सोशल मीडिया पर तारा प्रजापति की हिम्मत की लोग तारीफ करते हुए नहीं थक रहे हैं।