बच्चों की पढ़ाई के लिए दिन-रात कपड़े सिला करती थी माँ, एकसाथ दोनों भाइयों ने IPS बनकर किया कमाल

जीवन ऐसा है कि लोग इसे बेहतर से बेहतर बनाने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करते रहते हैं। हर किसी इंसान का यही सपना होता है कि वह अपने जीवन में खूब कामयाबी हासिल करे, जिससे वह अपने जीवन को बेहतर बना सके। लेकिन कामयाबी के लिए जिंदगी में बहुत कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इंसान मेहनत से कामयाबी की नई-नई ऊंचाइयों को छू सकता है। वहीं व्यक्ति के साथ-साथ उसके माता-पिता की भी यही ख्वाहिश होती है कि उनका बच्चा अपने जीवन में अच्छा से अच्छा करें।

हर मां-बाप अपने बच्चों को पढ़ा-लिखा कर बड़ा आदमी बनाने का सपना देखते हैं। इसके लिए तो गरीब से गरीब इंसान भी खूब मेहनत करता है। इसी बीच आज हम आपको राजस्थान के झुंझुनू के रहने वाले एक दर्जी परिवार के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपने दोनों बेटों को इसी सोच के साथ दिन-रात मेहनत करके पढ़ाया लिखाया। जब उनके दोनों बेटे IPS बन गए तब उनके जीवन का संघर्ष सफल हुआ।

दो भाई एक साथ बने IPS

दरअसल, आज हम आपको जिन दो भाइयों के बारे में बता रहे हैं वह 2018 बैच के पंकज कुमावत और अमित कुमावत हैं, जो बेहद साधारण परिवार से आते हैं। उनका परिवार बेहद साधारण तरीके से जीवन यापन कर रहा था। पंकज कुमावत और अमित कुमावत के पिता का नाम सुभाष कुमावत है, जो एक दर्जी का काम करते थे और उनकी पत्नी राजेश्वरी देवी उनके साथ ही तुरपाई करने का काम करती थीं। इन दोनों भाइयों ने कभी यह सोचा भी नहीं था कि एक दिन ऐसा आएगा जब इस तरह से उनकी किस्मत हमेशा के लिए बदल जाएगी। इन दोनों भाइयों ने साथ में पढ़ाई करते हुए एक साथ अधिकारी बनने का सपना देखा था और इसे पूरा भी दोनों ने साथ में ही कर दिखाया।

पंकज कुमावत और अमित कुमावत ने एक साथ यूपीएससी की सिविल सेवा की परीक्षा में सफलता हासिल की। पंकज को इस परीक्षा में 443वीं रैंक हासिल हुई। वहीं अमित को 600वीं रैंक मिली। जब दोनों भाइयों के पिता सुभाष कुमावत ने अपने बेटों का रिजल्ट सुना तो उनका सीना गर्व से चौड़ा हो गया और आंखों से खुशी के आंसू निकलने लगे।

माता-पिता ने किया खूब संघर्ष

आपको बता दें कि माता-पिता ने अपने दोनों बेटों पंकज और अमित को पढ़ाने के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत की। खासकर इनकी मां ने अपने बेटों को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए दिन-रात मेहनत कर सिलाई और रात-रात भर जागकर तुरपाई करती रहीं, जिससे उनके बेटों को पढ़ाई में कोई परेशानी का सामना ना करना पड़े। सुभाष और राजेश्वरी के दोनों बेटों ने आईआईटी दिल्ली से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की पढ़ाई की। इसके बाद पंकज ने नोएडा की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी भी की थी।

दोनों भाइयों ने एक साथ यह सपना देखा था कि उन्हें सिविल सेवा की परीक्षा को पास करना है। लेकिन घर की माली स्थिति अच्छी ना होने के कारण इन दोनों को बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा फिर भी दोनों भाइयों ने हार नहीं मानी। वहीं माता-पिता ने भी अपने बच्चों को कामयाब बनाने के लिए जीवन में खूब संघर्ष किया। माता-पिता दिन रात मेहनत कर सिलाई और तुरपाई के काम में व्यस्त रहने लगे ताकि बच्चों की पढ़ाई में कोई कमी ना आए।

बच्चों ने हासिल कर ली कामयाबी

दोनों ही भाई पढ़ाई-लिखाई में काफी होशियार थे। उन्होंने यह प्रण ले लिया कि माता-पिता की मेहनत को जाया नहीं करेंगे। मेहनत करके अपने सपनों को पूरा कर अपने माता-पिता का सिर गर्व से समाज में ऊंचा करेंगे। इसके बाद दोनों भाइयों ने पूरी तरह से तैयारी करनी शुरू कर दी। परिवार और दोनों भाइयों की मेहनत तब रंग लाई जब इन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली। दोनों भाई साल 2018 के अपने पहले प्रयास में आए परिणाम से संतुष्ट नहीं थे। इस परीक्षा में अमित को आईआरटीएस कैडर मिला था। इसके बाद साल 2019 में अमित को 423वीं और पंकज को 424वीं रैंक हासिल हुई। इस बार दोनों को आईपीएस कैडर मिला। पंकज पहले से ही आईपीएस थे जबकि अब अमित भी आईपीएस बन गए हैं।

दोनों भाई पंकज और अमित अपनी कामयाबी का पूरा श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं, जिन्होंने गरीबी में रहने के बावजूद भी इन दोनों को किसी चीज की कमी नहीं होने दी और हर कदम पर पूरा सहयोग दिया। दोनों भाइयों का ऐसा मानना है कि यदि इंसान सच्चे मन से मेहनत करे तो सफलता जरूर हासिल होती है।